खामोशी गर तेरी भी इक ज़ुबान होती, बातें मेरी भी कोई सुन रहा होता। ©noopurpathak
मेरी हताशा ने मेरी उम्मीदों को, मेरे दर्द ने मेरी मुस्कुराहटों को, मेरे क्रोध ने मेरे धैर्य को, आज आत्मसमर्पण कर दिया है। ©noopurpathak