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खामोशी

खामोशी गर तेरी भी इक ज़ुबान होती, बातें मेरी भी कोई सुन रहा होता। ©noopurpathak
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आत्मसमर्पण

मेरी हताशा ने मेरी उम्मीदों को, मेरे दर्द ने मेरी मुस्कुराहटों को, मेरे क्रोध ने मेरे धैर्य को, आज आत्मसमर्पण कर दिया है। ©noopurpathak

मेरी बर्बादी की दास्तान

मेरी बर्बादी की दास्तान मत पूछो, यूँ हुअा कि; कुछ अनबन हुई, कुछ शिकवे-गिले, कुछ सपने टूटे और अपने तो कितने पीछे छूटे।  कुछ दिन कटे, कुछ रात ढ़ली, कुछ उसने कही और कहती रही। कुछ मैं गलत, कुछ वो सही, कुछ मैं रूठा और वो मानी नहीं। और यूँ मनाते मनाते मैं बर्बाद हुआ... उस तक ज़ालिम, ये ख़बर पहुँची तक नहीं। ©noopurpathak

मुझे पसंद है

किसी ने कभी पूछा नहीं, पर मुझे पसंद है; बारिश की बूंदों की खनक, सौंधी-सी मिट्टी की महक। बस की खिड़की से झाँकना, दूर उस क्षितिज को ताकना। नदी में पैर भिगोना, हर महफिल में एक कोना। यूँ बेधड़क कभी थिरकना, चिट्ठी पढ़ कर चहकना। वो पुरानी-सी मेरी डायरी, फराज़ और अॉलिया की शायरी। ©noopurpathak